मारवाड़ी ठाठ बाट में जानकी महल ट्रस्ट से निकली राम बारात
कोहबर में ही लीला का दर्शन कराते हैं, मंदिर में भगवान के उत्थापन से लेकर रात्रि शयन तक आठो पहर की सेवा मधुर उपासना की ही रीति से की जाती है: आदित्य


अयोध्या। राम जी को दुल्हा सरकार व किशोरी जी के मायका के रुप में भगवान का सेवा पूजा साल के बारह महीने करने वाले सुप्रसिद्ध श्री जानकी महल ट्रस्ट का विवाह बिल्कुल जोरदार रहता है। मारवाड़ी ठाठ बाट के इस विवाह का हर रस्म बहुत ही मनमोहन व चर्चा का विषय रहता है। पूरे मिथिला पद्धति से विवाह उत्सव मनाया जाता है। जानकी महल ट्रस्ट में रामविवाह उत्सव की भव्यता देखते ही बनती है। माता सीता के मायके के रूप में प्रचलित जानकी महल की स्थापना जानकी वर बिहार कुंज के रूप में की गई थी। दूल्हा-दूल्हन सरकार के रूप में विराजति युगल सरकार की नयनाभिराम जोड़ी की अष्टायाम सेवा उनके परिकर करते हैं।
जानकी महल ट्रस्ट के आदित्य सुल्तानिया बताते हैं कि जनकपुर की परंपरा में दूल्हा सरकार विवाहोपरांत कोहबर में ही लीला का दर्शन कराते हैं। मंदिर में भगवान के उत्थापन से लेकर रात्रि शयन तक आठो पहर की सेवा मधुर उपासना की ही रीति से की जाती है। बताया कि आज भगवान की हल्दी तिलक एवं मेंहदी की रस्म भव्य रुप से मनाया गया। 28 नवंबर यानी सोमवार को रामबरात निकाली जाएगी। 29 नवंबर को छप्पन भोग के साथ विवाह उत्सव का समापन होगा।


