हिंदू धाम में श्रीरामजन्म महोत्सव पर हो रहे राम कथा में ब्रह्मर्षि डॉ रामविलास दास वेदांती जी ने भगवान के बाल स्वरूप एंव उनके अद्भुत बाल क्रीड़ाओं पर अद्भुत रस का किया वर्णन
अयोध्या। रामनगरी के हिंदू धाम मंदिर में श्रीरामजन्म महोत्सव के अवसर पर भव्य श्रीराम कथा आज तृतीय दिवस की कथा में ब्रह्मर्षि डॉ रामविलास दास वेदांती जी ने श्री भगवान के बाल स्वरूप एंव उनके अद्भुत बाल क्रीड़ाओं पर अद्भुत रस का वर्णन किया। कथा को विस्तार करते हुए महाराज श्री ने कहा कि सत्संग व भगवत कथा श्रवण का सुअवसर भगवान की असीम कृपा से प्राप्त होता है। मानव जीवन में ऐसा मौका तब आता है जब जन्म-जन्मांतर के पुण्य प्रकट होते हैं। इसके लिए मन की शुद्धि आवश्यक है और भगवान की कथा अंत:करण व मन को पवित्र कर देती है। सत्संग के बिन मन को पवित्र करने वाला दूसरा कोई साधन नहीं है। क्योंकि तन तो गंगा स्नान से शुद्ध हो जाते हैं। पंचगव्य पान से शरीर के रोम-रोम से लेकर हड्डी के अंदर तक की अशुद्धि दूर हो जाती है। लेकिन मन को केवल भगवत कथा सत्संग ही शुद्ध कर सकता है। वेदांती जी ने कथा के क्रम में कहा कि मन की पवित्रता के बिना सभी सत्कर्म निष्फल हो जाते हैं। मन ही मनुष्य के बंधन व मुक्ति दोनों का करण हैं। विषयों में आशक्त मन बंधन का कारण है, जबकि विषयों से विरक्त मन मुक्ति का हेतु है। भगवान के कथनों का उल्लेख करते हुए महाराज श्री ने कहा कि श्री हरि खुद कहते हैं कि मेरी इस गाथा को ज्यो-ज्यों सुना जाता है, त्यों-त्यों आत्मा का परिमार्जन व मन विशुद्ध होने लगता है। कथा को विस्तार देते हुए स्वामी जी महाराज ने कहा कि भगवान की कथा भक्तों का आहर है।कथा से पूर्व यजमान ने व्यासपीठ का पूजन किया। इस महोत्सव का संयोजन डा राघवेश दास वेदांती जी ने किया।