हम सब भाग्यशाली है राम जन्म और राम दरबार की प्रतिष्ठा का दर्शन हो रहा है: रामेश्वर बापू
कहा, रामकथा कामधेनु गाय है, जो जीव कलयुग में राम कथा का श्रवण करता है उनकी मन की इच्छा पूर्ण होती है
रामकथा में भगवान राम का जन्मोत्सव, चहुंओर छाया उल्लास, भक्तों ने जमकर आनंद में लगाया गोता
अयोध्या। श्रीधाम अयोध्या की पावन भूमि पर रामकथा के चौथे दिन व्यासपीठ से सुप्रसिद्ध कथाव्यास रामेश्वर बापू हरियाणी ने बताया कि रामकथा कामधेनु गाय है। जो जीव कलयुग में राम कथा का श्रवण करता है। उनकी मन की इच्छा पूर्ण होती है। रामकथा से जीवन में कई चीज प्रकट हो जाती है, जिसमें सबसे पहले विवेक आ जाता है। रामकथा से जीवन में वैराग्य प्रकट होता है। वैराग्य का मतलब केवल संसार छोड़ना इतना नहीं है। वैराग्य यानी सनातन धर्म के अनुसार सहज और समझ के साथ जीना वैराग्य अर्थात मन, कर्म, वचन से किसी के साथ कपट नहीं करना वो वैराग्य है। बापू ने बताया कि चार घाट पर कथा चल रही है। भगवान शिव पार्वती को कैलाश में कथा सुनाते हैं और भुसुंडी सरोवर पर कागभुसुंडी महाराज गरुड़ जी को कथा सुनाते हैं। प्रयागराज में त्रिवेणी घाट पर याज्ञवल्क्य ऋषि भारद्वाज को कथा सुनाते और अयोध्या पुरी में गोस्वामी तुलसीदास अपने मन को कथा सुनाते हैं। पार्वती जिज्ञासा लेकर भगवान शिव को राम कथा सुनने के लिए तैयार करती हैं। भगवान शिव राम कथा सुनाते हैं। प्रारंभ में बाल स्वरूप राम को भगवान शिव वंदन करते हुए राम अवतार के पांच कारण बताया है। फिर अवधपुरी में रघुवंश में राजा दशरथ के वहां कौशल्या के वहां स्वयं राम लाला का जन्म हुआ। ताे भए प्रगट कृपाला दीनदयाला काैशल्या हितकारी… आदि जन्म प्रसंग की चाैपाइयाें से पूरा कथा मंडप गूंज उठा। रामजन्म प्रसंग की कथा गाई। कथा में दिव्य भव्य राम जन्मोत्सव मनाया गया। बापू ने कहा कि अन्य जगहों पर कथा करते हैं। तो कथा में ऐसे बोलते हैं कि थोड़ी देर के लिए आए अयोध्या में जाएंगे। लेकिन अयोध्या में कथा चल रही है। तो रामलला के पास जाएंगे। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा 1 वर्ष हुआ। लेकिन कल 5 तारीख को राम दरबार की प्रतिष्ठा हो रही है। 5 तारीख को पूरा विश्व दर्शन जिनका करेंगे। वहीं राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या मंदिर में राम जन्मभूमि में हो रही हैं। हम सब भाग्यशाली है कि राम जन्म और राम दरबार की प्रतिष्ठा का दर्शन हो रहा है। हम सबका जीवन धन्य है। भाव से रामजन्म में भक्तों ने भाग लिया प्रेम से रामलालन को झुलाया और भजन कीर्तन के साथ राम जन्म उत्सव मनाते हुए कथा को विराम दिया।