जानकी महल ट्रस्ट में दुल्हा सरकार के साथ किशोरी जी झूल रही झूला
संत साधक पदों के गायन,संगीत के माध्यम से अपने आराध्य को दे रहें अपनी सेवा
अयोध्या। सावन झूला महोत्सव सामान्य तौर पर मिथिला उपासना के साधकों के लिए खास महत्व का है। फिर भी यह उत्सव पूरे श्रद्धाभाव से अन्य उपासना परम्परा के साधक व साधु संत मनाते हैं। इसी श्रृंखला में रामानंदीय के साथ-साथ रामानुजीय परम्परा के मंदिरों में भी झूलनोत्सव उल्लासपूर्वक मनाया जा रहा है। यहां दक्षिण भारतीय परम्परा में भगवान लक्ष्मी – नारायण की पूजा अर्चना की जाती है और झूले पर भगवान लक्ष्मी-नारायण को ही प्रतिष्ठित किया गया है। यहां भी प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर आराध्य के आनंद में संत श्रद्धालु सभी आनंद मना रहे हैं। जानकी महल ट्रस्ट में झूलन पर दुल्हा सरकार के साथ किशोरी जी विराजमान है। क्योंकि यहां पर भगवान राम को दुल्हा सरकार के रुप में पूजन करते है। किशोरी जी का महल होने के नाते पाहुन की सेवा सत्कार में पूरा महल हमेशा लगा रहा है। सारे उत्सव समैया उसी भाव के साथ होता है। ट्रस्ट से जुड़े समाजसेवी आदित्य सुल्तानिया कहते हैं उपासना परम्परा साधकों का नितांत व्यक्तिगत विषय है। इसके साथ-साथ लोक परम्परा की अवहेलना नहीं हो सकती है। वह भी देवाराधन का विषय हो तो फिर उसकी उपेक्षा कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वाचार्यों ने जिस लोक परम्परा को अंगीकार किया है, उसका निर्वहन हम सबका भी कर्तव्य है।
वहीं रामकोट स्थित प्रसिद्ध पीठ करुणानिधान भवन में झूलनोत्सव का उल्लास चहुंओर छाया है। महोत्सव को महंत रामजी दास महाराज की सानिध्यता प्रदान हो रही है। व्यवस्था की देखरेख मंदिर के अधिकारी राम नारायण दास जी कर रहें है। मधुर उपासना परम्परा के इस मंदिर में युगल सरकार की अष्टयाम सेवा पद्धति से नियमित पूजा अर्चना की जाती है। सावन झूला महोत्सव इस मंदिर के प्रमुख उत्सवों में से एक है। यहां सावन शुक्ल तृतीया को मणि पर्वत के झूलन उत्सव से झूलन शुरू हो चुका है। रामजन्मभूमि, दशरथ राजमहल बड़ा स्थान, लाल साहब दरबार, रंगमहल, लवकुश मंदिर, करुणानिधान भवन, जगन्नाथ मंदिर, वेद मंदिर, कौशलेश सदन, रामचरित मानस भवन, राजगोपाल मंदिर, सियाराम किला, सदगुरु सदन, लक्ष्मण किला में उत्सव चल रहा है।