भक्ति, श्रद्धा, समर्पण और प्रेम का प्रतीक बना झुनझुनिया बाबा आश्रम

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March 30, 2023

रामजन्म महोत्सव की अद्भुत छटा बिखरी सियारामकिला में, भक्ति रस में गोता लगा रहें संत साधक

दो दशक से आश्रम को सर्वोच्च शिखर पर स्थापित किया श्रीमहंत करूणा निधान शरण जी महाराज ने

अयोध्या। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की धराधाम को सन्तो की सराह भी कही जाती है। या हम यूं कह ले कि रामनगरी में अनेक भजनानन्दी सन्त हुये उनमें से एक रहे विभूषित जगदगुरू स्वामी श्री जानकी शरण झुनझुनिया बाबा जो रामनाम के सच्चे साधक के रूप में न सिर्फ अयोध्या अपितु पूरे भारत में रामनाम की अलख जगायी।
झुनझुनिया बाबा का नाम अयोध्या के सिद्ध संतों में शामिल है। बाबा को सीता जी की सखी चंद्रकला का अवतार कहा जाता है। यही वजह थी कि बाबा हमेशा स्त्री रूप में रहते थे और राम धुन में लीन रहते थे। रसिक भाव से श्रीराम नाम का प्रचार कर उसे जनमानस के हृदय में प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी जानकी शरण महाराज उर्फ झुनझुनिया बाबा की गिनती अयोध्या के सिद्ध संतों की अग्रणी पंक्ति में की जाती है। महाराजश्री को सीता जी की सहेली चंद्रकला का अवतार माना जाता है। उन्होंने सरयू के तट पर जहां तपस्या की थी। वहां सियाराम किला भव्य मंदिर बना हुआ है।
सरयूतट पर सुशोभित श्री सियाराम किला झुनकी घाट के आचार्य श्री की तपोस्थली आज अपने सर्वोच्च शिखर की ओर अ्रग्रसर है। यह आश्रम मां सरयू के पावन तट पर स्थित है। जो चतुर्दिक धर्म की स्थापना, समाज सेवा गौ सेवा अतिथि सेवा विद्यार्थी सेवा संत सेवा व दरिद्र नारायण की सेवा में भी दिन प्रतिदिन निरंतर आगे बढ़ रहा है। जहां पर पूरी निष्ठा व ईमान से सभी सेवा किया जा रहा है। इस आश्रम में भक्तों की एक लम्बी फेरहिस्त है। जिसमें पूरे भारत से लाखों भक्त इस आश्रम से जुड़े हुये है। श्री सियाराम किला को भक्ति श्रद्धा समर्पण और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। मां सरयू के तट पर भव्य और आकर्षक श्री सियाराम किला झुनकीघाट भक्ति और साधना के दृष्टि से भी सर्वोत्तम स्थान माना जाता है। यहां पहुंचकर सन्त साधक अपने परमाराध्य प्रभु की आराधना कर अपने को कृत्य-कृत्य करते है। मन्दिर के जगमोहन में युगल सरकार की प्रतिमा संगमरमर से बनी दिव्य मूर्ति का दर्शन करते है। मन्दिर में लगातार आज भी सीताराम धुनि कीर्तन संपदितकर महौल को भक्मिय बना देता है।
मंदिर में रामजन्मोत्सव आज बड़े ही हावभाव के साथ मनाया गया। महोत्सव में रामकथा की अमृत वर्षा मंदिर के अधिकारी प्रख्यात कथावाचक स्वामी प्रभंजनानन्द शरण महाराज कर रहे थे। भगवान का जन्म ठीक 12 बजे घंट घड़ियालों के मध्य हुआ। तो वही देर शाम बधाईयां गायन भी हुआ।
मंदिर के महंत करुणानिधान शरण महाराज कहते हैं की झुनझुनियां बाबा ने कई दशक तक कठोर तपस्या कर भगवान का साक्षात दर्शन प्राप्त किया। किशोरी जी से उन्हें जन कल्याण का आदेश मिला।
इस आश्रम को दो दशक से अपने सर्वोच्चत शिखर पर निरन्तर ले जाने के लिए आज शिखर पर निरन्तर ले जाने के लिए आज भी वर्तमान महन्त श्री करूणा निधानशरण जी महराज लगे रहते हे। आश्रम से जुड़े प्रख्यात कथावाचक जिनका नाम देश विदेश के नामचीन कथावाचकों में लिया जाता है। परमश्रेद्धय स्वामीजी प्रंभजनानन्द शरण जी महराज प्रभुवन्दन एवं जनसेवा संस्थान द्वारा निरन्तर दीन-दुखी असहाय की मदद करना चिकित्सालयों की स्थापना कर रोगियों को निःशुल्क उपचार करना वृद्धजनों व वृद्धा आश्रम असहाय व निर्धन कन्याओं का विवाह करना विशाल गौशाला प्राकृतिक प्रकोप यानि बाढ़ भूकप में राहत देना सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार करना जैसी तमाम योजनाएं चला कर निरन्तर लोगों की मदद करते चले आ रहे है। आश्रम में सभी उत्सव बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। यहां का मुख्य उत्सव रामनवमी मेला है। रामजन्मोत्सव पर पूरा मंदिर दुल्हन की तरह से सजाया गया था। चारों तरह खुशियां मनाई जा रही है।

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