निर्गुण ब्रह्म को सगुण साकार बनाकर स्थापित करने के उत्सव को विवाह महोत्सव कहते हैं: रामानन्दाचार्य

DNA Live

December 13, 2022

जगद्गुरु ने श्रीराम कथा के पंचम दिवस श्रीराम विवाहोत्सव का बहुत ही प्रसंग प्रस्तुत कर पूरे परिसर को भाव विभोर कर दिया

अयोध्या। अयोध्या के नन्दीग्राम भरत कुंड जहां पर भरत जी ने 14 साल भगवान राम के लिए तपस्या करते हुए अयोध्या का देखभाल किया उसी नन्दीग्राम भरत कुंड के श्रीराम जानकी मंदिर में श्री रामकथा महोत्सव का उल्लास अपने चरम पर है। आज कथा के पंचम दिवस पर व्यासपीठ से जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने श्री राम विवाहोत्सव का बहुत ही प्रसंग प्रस्तुत कर पूरे परिसर को भाव विभोर कर दिया। कथाव्यास रामानन्दाचार्य जी ने श्री राम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए बताया कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता जी ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा किया कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। एक-एक कर लोगों ने धनुष उठाने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम ने धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवता फूलों की वर्षा करने लगे।निर्गुण ब्रह्म को सगुण साकार बनाकर स्थापित करने के उत्सव को विवाह महोत्सव कहते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम जो वेद प्रतिपाद्य हैं जिनको अकल अनी अवैध निर्गुण निरंजन कहा जाता था वह परमात्मा आज भक्तों के पराभूत होकर अपनी सगुण सत्ता को मिथिला में स्थापित कर रहे हैं। स्वामीजी ने कहा कि सारे जनकपुर वासी उत्सव का आनंद है ले रहे हैं पूरी अयोध्या पूरा विश्व एक कीर्तिमान नये संबंध का आनंद ले रहा था। नये चेतना ऊर्जा का संचार हो गया। और यही भगवान के अवतार का भी परम कारण है।रामदिनेशाचार्य जी ने कहा कि जगत मात्र को आनंद देना और वही आनंद आज मिथिला में वितरित हो रहा है मिथिला के लोगों का हृदय और मन दोनों प्रफुल्लित है जो कि ब्रह्म साक्षात्कार हो रहा है ब्रह्म साक्षात होने पर मन स्वतः निर्मल बन जाता है और उस निर्मल मन में परमात्मा अभिभूत होकर स्थापित हो जाते हैं। महोत्सव की अध्यक्षता करते हुए दशरथ राजमहल बड़ा स्थान के पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य जी व संयोजन बिंदुगाद्याचार्य के उत्ताराधिकारी मंगल भवन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास जी कर रहें है। कथा में रामनगरी अयोध्या से विशिष्ट संत महंत शामिल हो रहें है जिनका मंगल भवन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास जी स्वागत कर रहें।व्यासपीठ का पूजन संतों के साथ नरेश कुमार गर्ग व उनकी धर्मपत्नी कुसुमलता गर्ग व भरत कुंड के गणमान्य लोगों ने किया। व्यवस्थापक में गौरव दास शास्त्री शिवेंद्र दास शास्त्री रहे।इस मौके पर सैकड़ों संत महंत एवं राम कथा के रसिक गण उपस्थित रहे।

Leave a Comment