श्रीराम धर्म की प्रतिमूर्ति है: डा श्री रामप्रसाद

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May 12, 2024

प्रसिद्ध पीठ श्री हनुमान बाग पर महंत जगदीश दास की अध्यक्षता में हो रही श्रीराम कथा की अमृत वर्षा

महंत जगदीश दास महाराज के साथ कथाव्यास रामप्रसाद जी, मामा दास व लवकुश दास

तृतीय दिवस पर कथाव्यास ने कहा, जिस देश में युवा का जीवन धर्म के लिये समर्पित हो जाये वह समाज व राष्ट्र धन्य हो जाता है

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अयोध्या। रामनगरी के प्रसिद्ध पीठ श्री हनुमान बाग में श्रीराम कथा के तृतीय दिवस पर कथाव्यास महंत परमहंस डा श्री रामप्रसाद जी महाराज बड़ा रामद्धारा सूरसागर जोधपुर ने कहा कि श्रीलक्ष्मण का चरित्र अर्पण ,समर्पण और विसर्जन का चरित्र है।उन्होंने अपने जीवन को श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया है।श्रीराम धर्म की प्रतिमूर्ति है।राम धर्म के स्वरूप है।राम सनातन धर्म के प्रतीक है।राम धर्म की आत्मा है। रामप्रसाद जी महाराज बड़ा रामद्धारा ने बताया कि लक्ष्मण का जीवन धर्म के प्रति समर्पित है।देश के हर युवा के प्रतीक है लक्ष्मण।जिस देश में युवा का जीवन धर्म के लिये समर्पित हो जाये वह समाज व राष्ट्र धन्य हो जाता है।श्रीराम राष्ट्र के मंगल के लिये यात्रा करते हैं और लक्ष्मण उनके सहयोगी है।जिस देश के युवा राष्ट्र धर्म और सेवा धर्म के समर्पित होते है वही रामराज्य की स्थापना होती है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण शब्द का अर्थ होता है जिसका मन लक्ष्य में लगा हो।जिस युवा का मन लक्ष्य से भटक जाता है वो कभी लक्ष्मण नहीं बन सकता।लक्ष्य विहीन युवा,समाज और राष्ट्र नष्ट हो जाता है।जीवन का जो लक्ष्य है उसके प्रति हमारा जीवन पूर्ण समर्पित होना चाहिये।
कथा की अध्यक्षता करते हुए हनुमान बाग पीठाधीश्वर महंत जगदीश दास जी ने कहा कि धैर्य और संयम सफलता की कुंजी है। जब मन इन्द्रियों के वशीभूत होता है, तब संयम की लक्ष्मण रेखा लाँघे जाने का खतरा बन जाता है, भावनाएँ अनियंत्रित हो जाती हैं। असंयम से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है इंसान असंवेदनशील हो जाता है मर्यादाएँ भंग हो जाती हैं। इन सबके लिए मनुष्य की भोगी वृत्ति जिम्मेदार है। काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या असंयम के जनक हैं व संयम के परम शत्रु हैं। इसी तरह नकारात्मक आग में घी का काम करती है। वास्तव में सारे गुणों की डोर संयम से बँधी हुई होती है। जब यह डोर टूटती है तो सारे गुण पतंग की भाँति हिचकोले खाते हुए व्यक्तित्व से गुम होते प्रतीत होते हैं। कथा में रामनगरी के विशिष्ट संतों का सम्मान किया गया। इस मौके पर हनुमानगढ़ी के संत मामा दास, लवकुश दास, पुजारी योगेंद्र दास, सुनील दास, रोहित शास्त्री, नितेश शास्त्री आदि लोग मौजूद रहें।

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