अयोध्या। श्रीमद्भागवत भगवान का शब्द विग्रह है। आत्मोद्धार के लिए शास्त्रों ने श्रवण को ही प्रथम साधन माना है। श्रीमद्भागवत कथा हमें ज्ञानामृत प्रदान कर अज्ञान का नाश करता है। उक्त बातें भागवत कथा के शुभारंभ में जगद्गुरू रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कही। पूरा बाजार के सरायराशी ग्राम सभा में आज से भागवत कथा का भव्य शुभारंभ हुआ है। रत्नेश प्रपन्नाचार्य कहते है कि कथा श्रवण से शुद्ध होता है अंतःकरण। भगवान के माधुर्य भाव को अभिव्यक्ति करने वाला, उनके दिव्य माधुर्य रस का आस्वादन कराने वाला सर्वोत्कृष्ट ग्रन्थ श्रीमद्भागवत ही है। श्रीमद्भागवत कथा ईश्वर का साकार रूप है। उन्होंने कहा कि हरि कथा ही कथा, बाकी सब व्यर्थ और व्यथा है। कथा जीवन के उस रस को जीवित करती है जो हमारे जीवन में नहीं है। जिस रस को हम बाहर ढूँढते हैं, वह श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से मिल जाता है।श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। सोया हुआ ज्ञान-वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है।