स्वामी नारायण सम्प्रदाय के प्रमुख पीठ स्वामी नारायण मंदिर रायगंज में दो महीने से चल रहा झूलनोत्सव, अलग-अलग प्रकारों से हो रहा भगवान का विशेष श्रृंगार

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August 27, 2023

आचार्य पीठ श्री लक्ष्मण किला में बह रही गीत संगीत की त्रिवेणी

अयोध्या। रामनगरी में धीरे-धीरे झूलन महोत्सव का रंग चटख हो रहा है। इससे यहां के मठ-मंदिर आहलादित हैं। रामनगरी के स्वामी नारायण सम्प्रदाय के प्रमुख पीठ स्वामी नारायण मंदिर रायगंज में विगत दो माह से झूलन महोत्सव मनाया जा रहा है। मोटा महाराज तेजेन्द्र प्रसाद व नर नारायण देव गादीपति आचार्य कौशलेन्द्र प्रसाद महाराज के आशीर्वाद से मंदिर के महंत अखिलेश्वर दास शास्त्री के संयोजन में प्रतिदिन भगवान का अलग- अलग प्रकार से श्रृंगार करके झूला झूलाया जाता है।शास्त्री अखिलेश्वर दास जी महाराज के संयोजन मे मंदिर में विभिन्न उत्सव बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। तो वही रामनगरी में रसिक परम्परा की आचार्य पीठ श्रीलक्ष्मण किला में इन दिनों उत्सव देखने लायक है। मंदिर में बह रही गीत संगीत की त्रिवेणी। शाम तो आचार्य पदों के सुमधुर गायनों से संत भगवान को रिझाते है। जैसे जैसे रात्रि होती है वैसे वैसे महफिल और भी भक्ति मय हो जाता है।
आचार्य पीठ श्रीलक्ष्मण किला झूलन महोत्सव के उल्लास में रंगा हुआ है। पीठ के पीठाधीश्वर महंत मैथली रमण शरण महाराज के संयोजन में सायंकाल दिव्य झूलन झांकी सज रही है। मठ में झूलन झांकी का क्रम सायंकाल से शुरू होकर देररात्रि तक चलता है। संत-महंत, भक्तगण झूलन झांकी में विराजमान युगल सरकार को झूला झुला रहे हैं। साथ ही साथ झूलन में आज सज-धजकर युगल सरकार बैठे हैं, हर्षित भये झुलनवा पिया झूलैं झुलनवा, अरे रामा रिमझिम बरसे पनिया..झूलैं राजा रनिया ऐ हारी, रंग ले तेरी झूलन है अति प्यारी आदि झूलन के पद्य गाकर भावविभोर भी हो रहे हैं। अयोध्यानगरी के नामचीन कलाकारों ने अनेकानेक झूलन गीत गाकर महोत्सव में चार चांद लगाया। इससे संत-महंत और भक्तगण मंत्रमुग्ध हो गए। महंत द्वारा कलाकारों को न्यौछावर भी भेंट किया गया। श्रीलक्ष्मण किला के अधिकारी सूर्य प्रकाश शरण ने बताया कि मंदिर में सायंकाल भोग, आरती पूजन पश्चात भगवान की भव्य झूलन झांकी सजाई जा रही है। युगल सरकार के झूलोत्सव का दर्शन कर साधु-संत और भक्तगण अपना साधु-संत और भक्तगण अपना कृतार्थ कर रहे हैं। युगल सरकार के झूलन झांकी का दर्शन करने से व्यक्ति को सर्वथा के लिए आवागमन मुक्ति मिल जाता है। वह 84 लाख योनियों में नही भटकता है। उसे सांसारिक माताओं की गोद में कभी नही झूलना पड़ता है। झूलन की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। परंपरानुसार मंदिर में प्रतिवर्ष युगल सरकार का झूलनोत्सव मनाया जाता है।

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