: बिना किसी ध्वंस के एक हज़ार साल के अन्याय का प्रतिकार

बमबम यादव
Sun, Dec 12, 2021
सदियों की आध्यात्मिक विरासत का कायाकल्प हुआ, कॉरिडोर बाबा विश्वनाथ मंदिर के मुक्ति का उत्सव
अयोध्या। काशी विश्वनाथ और अयोध्या धाम एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं। भगवान श्री राम और आशुतोष भी एक दूसरे को अपना आराध्य मानते हैं ऐसे में काशी में कुछ हो तो राम नगरी के संत महंत वह जन समुदाय में उल्लास ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शुभारंभ करेंगे उससे पूर्व ही अयोध्या के संत महंतों में जबरदस्त उल्लास है। संतो के अलावा जन समुदाय में भी इसको लेकर काफी प्रसन्नता है कि काशी विश्वनाथ की तर्ज पर राम जन्म भूमि मे भी कॉरिडर बनेगा। चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ जी के राज महल बड़ा स्थान के श्रीमहंत बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य जी महाराज ने कहा कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर अपने आततायी अतीत को सुधारने का संकल्प है। यानि सदियों की आध्यात्मिक विरासत का कायाकल्प।औ इस कॉरिडोर के बहाने इतिहास ने नई करवट ली है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक हज़ार साल के अन्याय का प्रतिकार बिना किसी ध्वंस के हुआ है। सिर्फ़ सृजन के ज़रिए। इसका स्वागत होना चाहिए। ये कॉरिडोर बाबा विश्वनाथ मंदिर के मुक्ति का उत्सव है। काशी मुक्ति का शहर है। मुक्ति की कामना में लोग यहां खींचे चले आते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इसी मुक्ति कामी चेतना ने काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हज़ार साल पुराने गौरव को लौटाया है। इसके लिए सभी को बहुत बहुत बधाई।
जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि एक हज़ार साल से काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वंस का जो दंश भोग रहा था, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने उससे मुक्ति दिलाया है। ग्यारहवीं शताब्दी तक इस मंदिर की शक्ल ऐसी ही थी, जैसी आज बनायी गयी है। काशी विश्वनाथ सिर्फ़ एक मंदिर नहीं बल्कि मंदिरों का संकुल था। मंदिर परिसर के चारों तरफ़ कॉरिडोर की शक्ल में कक्ष थे, जहां संस्कृत, तंत्र और आध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी। विद्यार्थी यहीं टिक कर धर्म और दर्शन की शिक्षा लेते थे।जगद्गुरू जी ने कहा कि इतिहास के अपने प्रस्थान बिन्दु होते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का यह तीसरा प्रस्थान बिन्दु है। जब भी इतिहास में इसका ज़िक्र आएगा, मंदिर का पुनरुद्धार करने वाली अहिल्या बाई होल्कर, इसके शिखर को स्वर्ण मंडित करने वाले महाराजा रणजीत सिंह और मंदिर को उसकी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आभा लौटाने वाले नरेन्द्र मोदी का नाम सामने होगा।
श्रीरामलला सदन व रामबरन आश्रम पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डा राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि परम्परा और इतिहास में यह मंदिर कालजयी सांस्कृतिक परंपराओं और उच्चतम आध्यात्मिक मूल्यों का जीवंत प्रतीक रहा है। यही समृद्ध परम्परा यहां देश भर के संतों को खींच कर लाती रही। जैन आए हुद् आए, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गोस्वामी तुलसीदास, महर्षि दयानंद सरस्वती, गुरुनानक सब यहां आए। इस ऐतिहासिक कार्य की लिए पीएम मोदी व सीएम योगी सभी को बहुत बधाई। आज जिस काशी विश्वनाथ मंदिर संकुल या कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। वह एक हज़ार साल से विध्वंस की विभीषिका झेल रहा था। शास्त्र बताते हैं कि मनुष्य की उत्पत्ति से पहले काशी की उत्पत्ति हुई थी। शिव आदिदेवता हैं और यह शिव की नगरी है। कह सकते हैं कि हिन्दू धर्म की जड़ें अयोध्या, मथुरा से ज़्यादा काशी विश्वनाथ में गहरी हैं। राम का व्यक्तित्व मर्यादित है। कृष्ण का उन्मुक्त और शिव असीमित व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे आदि हैं और अंत भी। बाकी सब देव हैं, वे महादेव। इसलिए काशी विश्वनाथ से जनमानस का जुड़ाव ज़्यादा है।
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश प्रपनाचार्य जी महाराज ने बताया की काशी विश्व की सबसे प्राचीन नगरी है और काशी विश्वनाथ और अयोध्या का नाता सप्त पूरीयों में प्रथम पूरीहै तो काशी भी इससे अछूती नहीं है यह भी चौथा स्थान रखती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाकर के सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं भारत विश्व गुरु बनाने की हमने तो सिर्फ आगे बढ़ रहा है जिस देश का सामाजिक और सांस्कृतिक विकास होता है वह अपने आप विश्व गुरु की तरफ आगे बढ़ जाता है। जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली की सत्ता पर बैठे हैं तब से भारत की संस्कृति दिनोंदिन आगे बढ़ रही है।
सिद्धपीठ श्री सियाराम किला पीठाधीश्वर श्रीमहंत करुणानिधान शरण जी महाराज ने
बताया कि जिस प्रकार आक्रांताओं द्वारा देश की संस्कृति संस्कार और सनातन धर्म को नष्ट करने का प्रयास किया गया था। उसको मां भारती के सपूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पुनः स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है यह बहुत ही प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों के प्रबंधन संस्कृति और संस्कार को पुनः स्थापित करने के लिए हृदय से बधाई देता हूं और दोनों लोगों के कुशल प्रबंधन में देश की संस्कृति सनातन धर्म बल मिलता रहे इसके लिए मैं प्रार्थना करता हूं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भारत के सनातन संस्कृति का हिस्सा है इसके लिए प्रधानमंत्री को देश के सभी संत महंत मनीषी साधुवाद देते है।
आचार्य पीठ श्री लक्ष्मणकिला पीठाधीश्वर श्रीमहंत मैथलीरमणशरण जी महाराज ने बताया कि अयोध्या और काशी सांस्कृतिक सामाजिक रूप से काफी निकट रही है और भोले बाबा प्रभु श्री राम एक दूसरे के आराधक और स्वामी बताते हैं इसलिए चाहे काशी का विकास हो चाहे अयोध्या का दोनों ही सनातन धर्म के लिए बहुत ही अच्छा कार्य है। प्रधानमंत्री मोदी सनातन धर्म के विकास के लिए ही हमेशा कार्य कर रहे हैं भारत को सामाजिक सांस्कृतिक रूप से आगे बढ़ाने और विश्व गुरु बनाने का कार्य योगी और मोदी कर रहे हैं। मैं दोनों लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं।
बिंदुगाद्याचार्य के कृपापात्र शिष्य मगंल भवन व सुंदर सदन पीठाधीश्वर महंत कृपालु रामभूषण दास ने कहा कि इस निमंत्रण पत्र के मिलने के बाद मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। क्योंकि अयोध्या शिलान्यास का भी साक्षी रहा और काशी विश्वनाथ लोकार्पण का भी साक्षी बनने का सुअवसर मिला, लेकिन हमारे सद्गुरु पूर्वाचार्य की पुण्यतिथि है मंदिर में आयोजन है।जिसके कारण मैं इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच पा रहा हूं बाद में कॉरिडोर और काशी विश्वनाथ जी महाराज का दर्शन करूंगा मैं ह्रदय से प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और सभी लोगों लोगों को साधुवाद देता हूं इस पुनीत कार्य के लिए। महंत कृपालु जी ने कहा कि ये बातें प्रधानमंत्री मोदी के गुलामी की जंजीरों से निकले भारत की आत्मा को दर्शाने की कला है। हम सिर्फ विकास के ही मामले में नही बल्कि धर्म, संस्कृति के मामले में भी दुनिया के सामने भारत के गौरवशाली इतिहास को अनुभव कर सकें और हम सर उठाकर जी सकें। सिर्फ हमारे जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान ही नहीं सम्मान भी जीवन का हिस्सा है।
फटकशिला आश्रम के श्रीमहंत शुकदेव दास जी महाराज ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडर को बनाकर बहुत ही सराहनीय कार्य किए हैं जिसके लिए वह युगों युगों तक याद किए जाएंगे। महाराज जी ने बताया कि काशी विश्व की प्राचीन नगरी है और काशी विश्वनाथ मंदिर निर्विवाद है साथ ही साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रधान ज्योतिर्लिंग है वहां का मार्ग बहुत संकीर्ण था भक्तों को शुभ होता था प्रधानमंत्री ने समस्या का निराकरण कर दिया कॉरिडोर बना करके अब मां गंगा से हजारों लोग एक साथ भोले बाबा का दर्शन कर सकेंगे पर्यटकों की संख्या पड़ेगी।
श्यामासदन पीठाधीश्वर महंत बालयोगी श्रीधर दास महाराज ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडर ये एक ऐतिहासिक पल है। जिसका हर किसी को इंतजार था। आज काशी विश्वनाथ की कृपा से बहुत काम हो रहा है। वास्तव में इस कार्य के लिए देश के प्रधानमंत्री मोदी जी व सीएम योगी जी को बहुत बहुत साधूवाद। हिंदू जनमानस को बहुत बधाई। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने आ रहे पीएम मोदी के आगमन पर शहर में देव दीपावली सरीखा नजारा देखने को मिलेगा। गंगा से शिव का एकाकार करा रहे काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण सोमवार को पीएम मोदी करेंगे। पीएम के साथ ही एक ऐतिहासिक क्षण में साक्षी बनने के लिए देश के प्रमुख शंकराचार्य, महामंडलेश्वर , श्रीमहंत समेत सनातन धर्म के सभी संप्रदायों का अद्भुत संगम होगा।
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